बेतुकी हास्य कहानी
बेतुकी हास्य कहानी
एक कहानी मैं कहूं, एक कहे तेरा चच्चा
आगे आगे हिरनी नाचे पीछे वाका बच्चा।
हमारे दादा दादी तो थे नहीं हमारे सामने और न ही नाना,
नानी थी पर वो रहती थी बहुत दूर। सो बहुत कम कहानियां सुनी हैं मैने बचपन में।
पढ़ने का शौक था तो पापा नंदन, पराग, चंदा मामा, बाल भारती, इंद्रजाल कॉमिक्स, सुमन सौरभ, लोट पोट जैसी किताबें ला कर देते थे। उन्ही किताबों को पढ़ कर बड़े हुए।
हिमाचल में उन दिनों बिजली बहुत कम स्थानों पर होती थी, इसलिए ज्यादातर जगह लालटेन से ही रोशनी होती थी।
तो बेड टाइम स्टोरीज भी पढ़ नही पाते थे।
हां कभी कभी पापा मौज में कुछ कुछ सुनाते रहते थे, वही आज आपको भी सुनाता हूं। पापा एक कविता सुनाते थे, पेश है आपके लिए।
सुनो भाई गप्प सुनो भाई सप्प
नाव में नदिया डूबी जाए
कव्वा अंधेरी रात में दिन भर उड़ा किया
खाकर कसेरू(बिना बीज का फल) बेर की गुठली हगा किया।
सुनो भाई गप्प सुनो भाई सप्प
नाव में नदिया डूबी जाए
बिल्ली चली बाजार को बांध गले में ईंट
सारे बनिए उस से पूछें, बीबी मलमल लोगी या छींट।
सुनो भाई गप्प सुनो भाई सप्प
नाव में नदिया डूबी जाए
मक्खी बैठी चुन्नी उत्ते, कुट कुट चब्बे दाने
सारे बनिए कट्ठे हो गए मक्खी नू लै गए थाने।
सुनो भाई गप्प सुनो भाई सप्प
नाव में नदिया डूबी जाए
मक्खी बैठी चुन्नी उत्ते कूट कुट चब्बे लूण
सारे बनिए कट्ठे हो गए मक्खी दा कित्ता खून।
सुनो भाई गप्प सुनो भाई सप्प
नाव में नदिया डूबी जाए
चलिए इसी के साथ आज की कथा विसर्जित होत है,। सुनो हे पाठक जान राम चंद्र और जानकी बसत हिय हनुमान
जाते जाते एक और खास बात बताता हूं, जानते हैं ना आज एक खास तारीख है 2202 2022, एक ऐसी तारीख जो आगे पीछे या उल्टी सीधी एक समान है, अरे मालूम था आपको, हां भूल गया भाई व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी में रोज पढ़ते हो ना 😂😂
मेरी इस बेतुकी कहानी को पूरा पढ़ने और टिप्पणी करने वाले लोगों को एक खास इनामी स्कीम में दाखिला मिलेगा, जीतने वाले प्रतियोगी को मुझे अपने यहां डिनर पर बुला कर एक और बेतुकी कहानी सुननी पड़ेगी और उसके बाद परितोषिक देकर मुझे घर छोड़ कर आना पड़ेगा। 😂😂
आभार – नवीन पहल – २२.०२.२०२२ 😂😂😂❤️❤️❤️❤️
# वार्षिक कहानी प्रतियोगिता हेतु
Arshi khan
03-Mar-2022 03:37 PM
Umda
Reply
Inayat
03-Mar-2022 01:37 PM
बहुत खूब
Reply
Arman
02-Mar-2022 10:23 AM
सुन्दर
Reply